आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है भाटी का सृजन'

स्व. डाॅ. नारायण सिंह भाटी का समूचा सृजन कालजयी रचना धर्म है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। यही कारण है कि भाटी आज भी इस लाेक में जाने जाते हैं। यह बात कवि आलोचक डॉ.आईदान सिंह भाटी ने एक निजी होटल में भाटी स्मृति काव्य संध्या की अध्यक्षता करते हुए कही। मुख्य अतिथि डॉ. डीबी क्षीरसागर ने कहा कि स्व. भाटी ने चौपासनी शोध संस्थान की शोध पत्रिका परंपरा के 101 अंकों का संपादन कर राजस्थानी भाषा साहित्य और संस्कृति की बहुमूल्य सेवा की। इसके साथ ही स्व. भाटी अच्छे रचनाकार हाेने के अलावा अच्छे इंसान भी थे। विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् कथाकार प्रेमप्रकाश व्यास ने कहा कि स्व. भाटी अाेजस संस्कृति और रोमानी सौंदर्य बोध के सृष्टा कवि थे जाे अपने समय में साहित्य से अाधी सदी पहले की साेच के साथ ही राजस्थानी को इतना आगे ले गए। कवि ललित निबंधकार सत्यदेव संवितेंद्र ने स्व. भाटी से जुड़े संस्मरण सुनाए। कवि वाजिद हसन ने पत्रवाचन करते हुए भाटी के सृजनात्मक व शोधपरक कार्यों को महत्वपूर्ण बताया। इस मौके गिरधर गोपाल सिंह भाटी, दिनेश सिंदल, महेंद्र सिंह, डॉ. गजेसिंह राजपुराेहित, किरण नितिला, राजेंद्र शाह, श्याम गुप्ता, फानी जोधपुरी, रतन सिंह, श्रवण सिंह राजावत, कमलेश कुमार नाहैलिया, मोहन सिंह र|ू, अरमान, डॉ. फतेहसिंह भाटी, डॉ. महेंद्र सिंह तंवर, आनंद हर्ष, डॉ.भवानी सिंह पातावत, आनंद सिंह परिहार, सुशील एम व्यास, परबत सिंह, हंसराज बारासा, बाबूलाल चांवरिया, कैलाशदान चारण, जयवंत सिंह भाटी, मनोहर सिंह राठौड़, अशफाक फौजदार, भगतराज मावर, सूरज भार्गव, मनीष भंडारी मौजूद थे।


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